जिले में आवारा कुत्तों का आतंक लॉकडाउन के दौरान लगातार बढ़ रहा

सहारनपुर। लॉकडाउन हुआ तो कमेले बंद हो गये। मीट फैक्ट्रियों पर ताला लटक गया। कूड़े के ढेर में फेंका जाने वाला अवशेष मीट कुत्तों को मिलना बंद हो गया। इससे अब तक मीट खाते रहे आवारा कुत्ते बौखला गये। अब इन कुत्तों ने आसान शिकार को तलाशना शुरू कर दिया है। इससे पूर्व भी जिले में आवारा कुत्तों का आतंक रहा है, जो कि लॉकडाउन में बढ़ गया है। तीतरों में आवारा कुत्तों ने छह वर्षीया बालिका को नोंच कर घायल कर दिया था।



हायर सेंटर ले जाते समय बालिका की मौत हो गई। चिलकाना क्षेत्र में दो बच्चों को कुत्तों ने बुरी तरह नोंच डाला था। आए दिन भूख से खूंखार हो रहे कुत्तों के झुंड मौका देखते ही सड़क पर दो पहिया वाहन चालकों का पीछा कर चालक का पैर पकड़ लेते हैं। हालांकि महानगर में स्वयंसेवी संस्थाओं ने नगर निगम के साथ मिलकर कुत्तों को भोजन उपलब्ध कराने की पहल की है।



 


कोरोना लॉकडाउन के चलते इन दिनों महानगर में भी कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है। करीब 10 दिन पहले वार्ड-58 के लक्खीगेट क्षेत्र में आवारा कुत्तों ने एक बालिका को नोंच लिया था। बालिका के पिता और क्षेत्र के लोगों ने बामुश्किल कुत्तों को दूर तक खदेड़ा था। हालांकि बाजोरिया कालेज प्रबंध समिति, संस्था एक प्रयास सहित अन्य लोगों ने कुत्तों को खाना उपलब्ध कराने की पहल की है। नगर निगम ने भी संस्थाओं के सहयोग से आवारा कुत्तों को खाना खिलवाया है।


पहले भी खूनी हो चुके आवारा कुत्ते


 

बेहट 11 मार्च 2020 को कस्बे के मोहल्ला धोबियान में दो सगी बहनें छह वर्षीय फाइजा व तीन वर्षीय बुसरा पुत्री मोहम्मद फारूख को घर के सामने खेलते हुये कुत्तों ने हमला कर घायल कर दिया था। इसके अलावा 15 दिसंबर 2019 को मिर्जापुर के सिकंदरपुर के जंगल में बच्चों के साथ लकड़ी बीनने गयी इसी गांव के मन्नान की 8 वर्षीय पुत्री मिस्बाह को कुत्तों को नोंच कर मौत की नींद सुला दिया था जबकि 23 मई को मुर्तजापुर के किसान धर्म सिंह को खेत में काम करते हुये बुरी तरह नोच दिया था, जिससे उसकी अस्पताल में मौत हो गयी थी। दयालपुर गांव में तो कुत्तों का कहर कई सप्ताह तक रहा था। यहां 25 जून को खूंखार कुत्ते अपनी मां के पास चारपाई पर आंगन में सोए तीन माह के अभिमन्यु को उठा ले गये थे और जंगल में मार दिया था। 27 जून को भी यहां एक ओर मासूम को कुत्तों ने मौत की नींद सुला दिया था। वर्ष 2018 में इसी गांव में संजय सैनी की नौ माह की बेटी सिद्धाती को भी कुत्तों ने घर के आंगन में सोते हुये को उठाकर जंगल में ले जाकर मार दिया था।


गंगोह सरकारी रिकार्ड के मुताबिक इस वर्ष लगभग 300 लोगों को कुत्ते अपना शिकार बना चुके हैं। इससे पूर्व 2019 में 1619 लोगों को रैबीज के इंजेक्शन लगाए गए थे। 


इनका कहना है


लॉकडाउन के कारण नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों के लिए भी स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से खाने की व्यवस्था की जा रही है। निगम का प्रयास है कि अन्य लोग भी इस मुहिम से जुड़े जिसके लिए लगातार लोगों से अपील की जा रही है।


ज्ञानेंद्र सिंह, नगरायुक्त नगर निगम।


अगले कुछ दिनों में ही कैप्चर पिंजरे का इंतजाम कर आवारा कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई अमल में लाकर स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया जायेगा।


-कृष्ण मुरारी, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद गंगोह